सीबीएसई 12वीं की परीक्षाएं पर फैसला 1 जून को
सीबीएसई की 12वीं की परीक्षाएं कराई जाएं या नहीं इस पर फैसला 1 जून को आने वाला है। शिक्षा मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है और उसने राज्यों से इस पर उनके विचार और सुझाव भी मांगे हैं।
कई राज्यों से यह सुझाव आया है कि इन परीक्षाओं को समय से करा लेना चाहिए और कुछ राज्य इसके विरोध में है। बिहार और उत्तर प्रदेश की सरकार ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि वह इन परीक्षाओं को समय रहते करा ले ताकि विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेजेस या विश्वविद्यालय में दाखिला पाने में किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।
सीबीएसई 12वीं की परीक्षाएं पर फैसला 1 जून को
इस संबंध में हमारी टीम ने विद्यार्थियों, अभिभावक और शिक्षकों से बात की। इनमें से अधिकांश अभिभावकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों का यही कहना था कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए परीक्षाएं टाल दी जानी चाहिए। वहीं कुछ छात्र इस बात को लेकर के भी चिंतित दिखे कि यदि परीक्षाएं टाल दी जाती हैं तो आगे उनके भविष्य में काफी कठिनाई आ सकती हैं।
जैसे कि कुछ संस्थानों में दाखिले का फॉर्म और तारीख निकल चुकी है। अगर ऐसे में समय से इम्तिहान करा और रिजल्ट समय पर नहीं जारी किए जाते हैं तो वह डेट मिस हो जाएगा और अपने मनचाहे शिक्षण संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए दाखिले से वंचित रह जाएंगे।
सीबीएसई के 12वीं के विद्यार्थियों से यह पूछा गया कि परीक्षा की तारीख को आगे बढ़ाना चाहिए या नहीं तो अधिकांश का जवाब यही था कोरोना महामारी को देखते हुए परीक्षा की तारीख को अभी आगे बढ़ा देना चाहिए।
कोई भी विद्यार्थी या उनके अभिभावक मौजूदा हालात में रिस्क लेने को तैयार नहीं है। हालांकि इनमें से कई विद्यार्थियों का यह कहना था कि परीक्षा को टालने के बजाय उसके वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
परीक्षा के आयोजन को लेकर हमारी टीम ने देश के विभिन्न हिस्सों में एक सर्वेक्षण किया। यह सर्वेक्षण देश के महानगरों के अलावा टीयर टू सिटी और ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों से, उनके शिक्षकों और अभिभावकों की से किया गया।
ऑनलाइन परीक्षा और इंटरनल एसेसमेंट की अनुशंसा उन छात्रों ने की जो शहरी क्षेत्र में रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों का यही कहना था कि परीक्षा देरी से हो लेकिन पारंपरिक तरीके से हो।
इसके पीछे उनका यह तर्क था कि गांव में नेट और नेटवर्क की समस्या रहती है। बहुत से विद्यार्थियों के पास ना लैपटॉप है और न स्मार्टफोन की सुविधा ऐसे में ये विद्यार्थि ऑनलाइन परीक्षा देने में अक्षम हैं।
वही कुछ शहरी क्षेत्र के विद्यार्थियों का कहना यह भी था कि ऑनलाइन परीक्षा की प्रणाली इतनी सुदृढ नहीं है। न हीं उन्हें ऑनलाइन परीक्षा देने का अभ्यास है, ऑनलाइन परीक्षा में सबसे बड़ी समस्या टाइम मैनेजमेंट की होती है ऐसे में जरा सी भी चूक उनके प्राप्तांक पर असर डालेगी।
जब अभिभावकों से इस बारे में पूछा गया तो शहरी क्षेत्र के 60% से ज्यादा अभिभावकों की यही राय थी कि परीक्षा को रद्द कर देना ही सही फैसला होगा। वही 20 से 25% ऐसे भी अभिभावक थे जो चाहते थे कि परीक्षा मौजूदा स्थिति में समय से करा लेनी चाहिए।
इससे विद्यार्थियों का भविष्य बर्बाद नहीं होगा। इनमें से कई ऐसे अभिभावक भी थे जो ऑनलाइन परीक्षा का समर्थन कर रहे थे। ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 70 से 80% ऐसे अभिभावक थे जिनका कहना था कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए परीक्षा को रद्द करना ही सही फैसला होगा।
इनमें से अधिकांश अभिभावक ऑनलाइन परीक्षा का समर्थन नहीं कर रहे थे। इसके पीछे इनका यही तर्क था कि लॉकडाउन में कहीं भी इंटरनेट सेंटर खुला नहीं होगा और अधिकांश बच्चों के पास लैपटॉप और स्मार्टफोन की सुविधा नहीं है।
ग्रामीण इलाके के शिक्षकों ने ऑनलाइन परीक्षा के सुझाव को सिरे से नकार दिया। वहीं कुछ शिक्षक ऐसे भी थे जिनका सुझाव था कि मौजूदा परिस्थिति में यदि परीक्षा कराना है तो सरकारी व निजी स्कूलों के अलावा कोचिंग सेंटर को भी इसमें जोड़ा जाना चाहिए।
प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर सरकारी शिक्षकों और सरकारी अधिकारियों की तैनाती की जा सके जो परीक्षा की निगरानी कर सकें। कुछ ने तो यह भी सुझाव दिया कि विद्यार्थियों को पहले वैक्सीन लगवा दिया जाए उसके बाद परीक्षा कराने पर विचार किया जाए।
गौरतलब है कि कुछ विद्यार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका लगाई है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए परीक्षा के तारीखों को टाल दिया जाए। जैसे ही स्थिति सामान्य होती है यह परीक्षाएं करा ली जाए। वहीं कुछ लोगों का यह भी सुझाव है कि यदि परीक्षाएं देर से होती हैं तो आने वाले दिनों में ऐसे विद्यार्थियों के लिए केंद्र व राज्य सरकार नौकरी के आवेदन में उम्र की सीमा में भी छूट दी जाए।
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S Vishnu Sharmaa now works with collegechalo.com in the news team. His work involves writing articles related to the education sector in India with a keen focus on higher education issues. Journalism has always been a passion for him. He has more than 10 years of enriching experience with various media organizations like Eenadu, Webdunia, News Today, Infodea. He also has a strong interest in writing about defence and railway related issues.